"उपर वाले ने भी क्या कमाल कर दिया उसने भी आज बेमिसाल कर दिया बोहुत ही खूब एक प्राणी बनाया और उसका एक ही नाम इंसान दे दिया" दोस्तों वैसे पुरें विश्व या फिर बात करें तो पुरें universe में एक ही ऐसा प्राणी हैं जो सबसे बुद्धिमान हैं वो है हम इंसान क्यों की ऊपर वाले ने हमें सब कुछ दिया हैं पर कभी कभी हम गलती करतें हैं और ऊपर वाले की इस अनोखी बनावट पर हँसते है और ऊपर वाले का मजाक बना देतें हैं दोस्तों वैसे मेने जो बात कही वो एकदम सिंपल हैं फिर भी आज एक कहानी से जानेंगे की हम जाने-अनजाने में ऊपर वाले का मजाक बना देतें हैं....
आप भी भगवान पर हँसते है ?
ऋषि अष्टावक्र का शरीर कई जगह से टेढ़ा-मेढ़ा था इसलिए वे अच्छे नहीं दिखते थे। एक दिन जब ऋषि अष्टावक्र राजा जनक की सभा में पहुंचे तो उन्हें देखते ही सभा के सभी सदस्य हंस पड़े। ऋषि अष्टावक्र सभा के सदस्यों को हंसता देखकर वापस लौटने लगे।
यह देखकर राजा जनक ने ऋषि अष्टावक्र से पूछा-‘‘भगवन ! वापस क्यों जा रहे है?”
ऋषि अष्टावक्र ने उत्तर दिया- ‘‘मैं मूर्खों की सभा में नहीं बैठता।’’
ऋषि अष्टावक्र की बात सुनकर सभा के सदस्य नाराज हो गए और उनमें से एक सदस्य ने क्रोध में पूछ ही लिया- ‘‘हम मूर्ख क्यों हुए? आपका शरीर ही ऐसा है तो हम क्या करें’’
तभी ऋषि अष्टावक्र ने उत्तर दिया – ‘‘तुम लोगों को यह नहीं मालूम कि तुम मुझ पर नहीं, सर्वशक्तिमान ईश्वर पर हंस रहे हो। मनुष्य का शरीर तो हांडी की तरह है जिसे ईश्वर रूपी कुम्हार ने बनाया है। हांडी की हंसी उड़ाना क्या कुम्हार की हंसी उड़ाना नहीं हुआ?’’
अष्टावक्र का तर्क सुनकर सभी सभा सदस्य लज्जित हो गए और उन्होंने ऋषि अष्टावक्र से क्षमा मांगी।
दोस्तों हम में से ज्यादात्तर लोग भी कभी न कभी किसी मोटे, दुबले या काले व्यक्ति को देखकर हँसते है और उनका मजाक उड़ाते है कि वह कैसा भद्दा दिखता है| जब हम ऐसा करते है तो हम ईश्वर, अल्लाह या भगवान का मजाक उड़ाते है न कि उस व्यक्ति का|
इस कहानी की सबसे बड़ी सिख यही है की हम सब एक इंसान हैं और हमें एक दुसरें को समजना हैं नाकि किसी का मजाक बनाना हैं
and हर रोज़ यही दुवा कीजिये ऊपर वाले से दोस्तों....
"आज एक और सुबह तूने डाली है मेरी किस्मत में मेरे मालिक...
हर लम्हें को तेरे ही मुताबिक गुज़ारू ये काबिलियत भी मुझे दे देना...
हर वो इंसान ख़ुशी से रहे जिसको तूने ये जिंदगी दी है मेरे मालिक...
कभी न किसी किसी का दिल्ल दुखाऊ यही इंसानियत दें मुझे तू...."
धन्यवाद
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