If you see darkness in your life, believe that the God is making a beautiful future for you"
"अगर आपके जीवन में अँधेरा है तो आप विश्वास कीजिये भगवान आपके लिए बहुत ही खूबसूरत पल लाने वाला है। "
यह कहानी है घर में खेलने कूदने और गुडियों से खेलने की उम्र में लड़की की , जो अपनी माँ के साथ बलिया से दिल्ली तक का पूरा सफ़र करके सुप्रीम कोर्ट आती और पूरा दिन अदालत में बैठने के बाद रात में फिर उसी सफर में निकल जाती , तब शायद उस नन्ही सी लड़की और उसकी माँ को यह पता भी न होगा कि उसकी यह न्याय पाने की जिद के लिए संघर्ष 31 साल में पूरा होगा | 5 जून 2013 , यह वह तारीख है जिस दिन लखनऊ में CBI की अदालत ने अपना फैसला सुनाया |अदालत ने कहा – 1982 को 12-13 मार्च की रात गोंडा के DSP के.पी.सिंह ( किंजल सिंह के पिता ) की हत्या के आरोप में 18 पुलिसवालों को दोषी ठहराया जाता है | जिस वक़्त यह फैसला आया उस वक्त यह छोटी सी लड़की अब बहराइच की जिलाधिकारी (DM) ban चुकी थी |
चलिए जानते हैं – किंजल सिंह के संघर्ष की कहानी
जब किंजल की आयु मात्र 6 महीने थी , तब किंजल सिंह के पिता जी की निर्मम हत्या हुई थी, तब वह मात्र 6 वर्ष की थी और उनके पिता की मृत्यु के 6 महीने बाद किंजल की छोटी बहन प्रांजल का जन्म हुआ | DSP के. पी. सिंह के पिता IAS बनना चाहते थे और उनकी हत्या के बाद यह परिणाम आया की उनके पिता ने IAS की मुख्य परीक्षा पास कर ली है |
ईश्वर शायद किंजल सिंह को हर तरीके से परख रहा था , जब किंजल को Delhi के Lady ShriRam College में प्रवेश मिल गया , तो पहले सेमेस्टर के दौरान ही किंजल को पता चला की उनकी माँ को कैंसर है , और वह Last Stage में है | कीमोथेरपी के कई Round से गुजर कर किंजल सिंह की माँ विभा सिंह की हालत बहुत खराब हो चुकीं थी | पिता को खोने के बाद अब माँ को खोने के डर अब किंजल और प्रांजल को बहुत सता रहा था |किंजल ने एक interview में बताया कि – एक बार वह अपनी माँ के पास गयी और उन्होंने कहा – “ मै पापा की इन्साफ दिलवाऊँगी , मै और प्रांजल आईएएस अफसर बनेंगे |” कुछ देर के बाद ही उनकी माँ सुकून की साँस लेते हुए कोमा में चली गयी , और कुछ दिन के बाद ही उनकी मौत हुई | माँ की मौत के 2 दिन बाद ही किंजल ने अपने सारे exams दिए और पूरी Delhi University Top किया , लेकिन उनकी इस ख़ुशी में सरीक होने में उनके माँ –बाप उनके साथ नहीं थे |
फिर उन्होंने आईएएस की तैयारी के लिए अपनी छोटी बहन प्रांजल को भी दिल्ली बुला लिया , और दोनों बहने आईएएस की तैयारी में लग गयी | 2008 में किंजल का दुसरे प्रयास में और प्रांजल का पहले प्रयास में आईएएस में चयन हो गया |किंजल का मेरिट लिस्ट में 25 वा और प्रांजल का 252 वी रैंक रही |
किंजल सिंह ने अपने हौसले के बल पर न केवल खुद बल्कि अपने बहन की मदद की और आज दोनों बहने देश सेवा में अग्रसर है |दोस्तों अगर आप कुछ करना चाहते हैं न तो हौसले बुलंद रखिये क्योंकि किसी ने सच ही कहा है -
मंजिले उन्ही को मिलती है,जिनके सपनो में जान होती है,
पंखो से कुछ नहीं होता,होसलों से उड़ान होती है।
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