जिसके हम मामा हैं - शरद जोशी : Moral Story In Hindi
एक सज्जन वाराणसी पहुचे | स्टेशन पर पहुँचते पर ही एक लड़का दौड़ता हुआ आया और मामा जी कहकर चरण छु लिए | उन्होंने कहा – ‘’ तुम कौन हो’’ तो लड़के ने अपना नाम मुन्ना बताया |मामा जी सोचने लगे कौन मुन्ना ? मुन्ना ने बात काटते हुए बोला – भूल गये मामा जी , अरे इतने दिन भी तो हो गये |
मामा जी अपने भांजे के साथ वाराणसी में घूमने लगे | कभी इस मंदिर , कभी उस मंदिर , फिर गंगा घाट गये | उन्होंने मुन्ना से कहा , ‘बेटा नहा ले !’ मुन्ना ने कहा-“जरुर नहाइए मामा जी”
मामा जी ने डुबकी लगाईं और बाहर निकले देखा सामान गायब , कपडे भी गायब , मुन्ना भी गायब|
मुन्ना ओ मुन्ना वे सज्जन चिल्लाने लगे , तौलिया लपेटे घाट पर | अंत में वे मुन्ना – मुन्ना पुकारते हुए दौड़ने लगे , और सबसे पूछते – क्या आपने मुन्ना को देखा है , सामने से जवाब मिला कौन मुन्ना | सज्जन जी बोले – वही मुन्ना , जिसके हम मामा है |
अरे मुन्ना नहीं मिला , वह तो गायब हो चुका था |
अंत में लेखक शरद जोशी जी ने बताया – भारतीय वोटर के नाते हमारी भी यही स्थिति है , चुनाव के मौसम में उम्मीदवार मुन्ना की तरह आता है , और हमारे पैरो में गिर जाता है और वह कहता है , मुझे पहचाना नही , मै होने वाला MP हूँ | आप प्रजातंत्र की गंगा में डुबकी लगाते है और बाहर निकले पर वही व्यक्ति जो आपके चरण में गिर जाता था आपका वोट लेकर गायब हो चुका है | समस्याओ के घाट पर अब आप तौलिया लपेटे खड़े हैं | सबसे पूछते हैं , बताओ वह साहब कहाँ मिलेंगे जिनके हम वोटर हैं |पांच साल इसी तरह तौलिया लपेटे समस्याओ के घाट पर खड़े बीत जाते है , और कोई सुनने वाला नहीं है |
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