आज मैंने एक नयी सीरीज start की है वह है-Successful Businessman Biography in Hindi, और इसका शुभारम्भ मैंने Successful Businessman KUNWAR SACHDEV biography से start किया है |
हम अपनी site के जरिये से एक ऐसे शख्स से दिन प्रतिदिन रु -ब -रु कराते रहतें हैं ,इसी श्रंखला में प्रस्तुत है india के no 1 इन्वर्टर ,सु-कैम इनवर्टर के मालिक कुँवर सचदेव से जिनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि एक दम साधारण सी है ,पहले बसों पर बेचते थे पेन ,दुसरो के घर केबल लगाते थे लेकिन आज करोडो की संपत्ति के मालिक है ,
चलिए और जानते हैं कैसे हुई शुरुवात(Reason of Starting Business)-
किसी भी व्यक्ति को सफल होने के लिए degree की जरुरत नही होती ,बस आपका टैलेंट ही आपको सफल आदमी बनाता है क्या आप जानते है कि बिल ग्रेट्स , और facebook के संस्थापक मार्क जुकेरबेर्ग कॉलेज dropout हैं ,फिर भी वे सफल हैं | क्योंकि मित्रो ,
" रात नही ख्वाब बदलता है ,
कुँवर सचदेव के पिता रेलवे में क्लर्क और माँ गृहणी हैं |कुँवर जब 5 वीं क्लास में थे तब उनके पिता ने उन्हें प्राइवेट स्कूल से निकाल कर गवर्नमेंट स्कूल में डाल दिया |12वी क्लास के बाद कुँवर ने मेडिकल का entrance exam पास कर लिया लेकिन 12वी क्लास में 49 % नंबर आये थे | जबकि मेडिकल कॉलेज में दाखिले के लिए entrance exam पास करना ही था और इसके अलावा 50 % भी इंटर में होने चाहिए थे |इसलिये कुँवर मेडिकल में एडमिशन नही पा सके | कुँवर ने हार नही मानी और दूसरे सरकारी कॉलेज से 12वी परीक्षा दी और स्कूल में top किया |लेकिन इस बार वे मेडिकल का exam नही पास कर पाए | इसके बाद उन्होंने इंजीनियरिंग के लिए दिल्ली के हिन्दू कॉलेज में ले एडमिशन लिया | पढाई के साथ साथ कुँवर अपने भाई के साथ ही पेन बेचने का काम करते | कुँवर साईकिल और बसों पर भी पेन बेचते और यह सब उन्हें आर्थिक तंगी के लिए करना पड़ा | इंजिनयरिंग के बाद उन्होंने अपना पूरा समय अपने भाई के साथ देना शुरू किया | इसके बाद कुँवर ने दिल्ली यूनिवर्सिटी में law की पढाई की और पेनो का व्यापार बंद किया | इसके बाद कुँवर ने एक केबल कम्पनी में काम किया | 2 साल साल तक काम करने के बाद कुँवर ने अपनी जमापूंजी के 10,000 रूपये से खुद का केबल का बिजनेस start किया |और कॉलेज के दिनों में सोचा हुआ नाम सु - कैम रखा | जिस समय कुँवर ने केबल का बिजनेस start किया उस समय यह केवल होटलों में ही लगता है |लेकिन वैश्वीकरण के बाद केबल लगभग -लगभग हर घर की आवश्कता बन गयी और कुँवर के केबल का बिजनेस चल पड़ा | 1. कुँवर ने एक इंटरव्यू में बताया कि -
मंजिल नही कारवां बदलता है ,
जज्बा रखे हरदम जीतने का क्योंकि
किस्मत चाहे बदले या न बदले
लेकिन वक्त जरुर बदलता है | "पारिवारिक पृष्ठभूमि (Family Condition) :-
कुँवर सचदेव |
इन्वर्टर का बिजनेस कैसे सूझा और वे इस फील्ड में कैसे आये -
कुँवर ने एक इंटरव्यू में बड़ा दिलचस्प ,रोचक वाकिया बताया - उनके घर का इन्वर्टर अक्सर ख़राब हो जाता था ,और उन्हें बार बार इन्वर्टर मिस्त्री को बुलाना पड़ता था | जब एक बार उनके घर का इन्वर्टर ख़राब हो गया उन्होंने खोला तो देखा कि उसमे बहुत से parts पुराने लगे थे और गलत पीसीबी बोर्ड लगा था |जिसे देखकर उन्हें बहुत बुरा लगा और उन्होंने सोचा कि कितने ही ग्राहक आजकल ठगे जा रहे हैं ,उनके दिमाग में आईडिया आया क्यों न मै इन्वर्टर का बिजनेस start करू |
हालाँकि उन्हें इस क्षेत्र की abcd भी पता नही थी ,लेकिन उनकी जिज्ञासा ही उनकी सफलता का कारन बनी और आज कुँवर अरबपति हैं | कुँवर ने इन्वर्टर का बिजनेस शुरू करने के लिए कुछ इंजीनियर को जोड़ा और विभिन्न देशो से इन्वर्टर लाये उनकी बारीकिया प्राप्त की | कुँवर ने इंजीनियरों से अच्छी डिजाइनिंग की बात की |धीरे धीरे डिजाइनिंग के और quality के बल पर सुकैम कम्पनी के इन्वर्टर की लोगों द्वारा मांग बढती गयी और कुँवर ने एक target पर focus करने के लिए केबल का बिजनेस बंद कर दिया | सन 2000 में एक बच्चे के इन्वर्टर से करेंट लगने की घटना ने उन्हें स्तब्ध कर दिया और उन्होंने घरो की सेफ्टी के लिए प्लास्टिक के बॉडी वाले इन्वर्टर बनाने के बारे में सोचा ,लेकिन सामान्य प्लास्टिक इन्वर्टर के ताप को सहने में सक्षम नही थी ,इसलिए कुँवर ने विशेष प्रकार की प्लास्टिक बॉडी से बना हुआ इन्वर्टर chik सबके सामने लाये और लोगों द्वारा यह बहुत पसंद किया गया | आज सुकैम इन्वर्टर india का no 1 इन्वर्टर बन गया है ,और सुकैम 70 से भी ज्यादा देशो में पसंद किया जाता है |कुँवर सचदेव से कुछ बाते जो हमें सीखनी चाहिए -
हम जब भी कोई काम करते हैं तो या तो हमें उससे आलोचना मिलती है या फिर प्रशंसा , अगर हमें उसकी प्रशंसा मिलती है तो हमारा उत्साह बढ़ता है और हम और अच्छा करने को सोचते हैं ,और अगर कोई आलोचना करता है तो हमें उसे और भी अच्छा बनाने की कोशिश करनी चाहिए |
2 . कुँवर सचदेव को पैसों में कभी intrest नहीं रहा ,एक इंटरव्यू में जब उनकी पर्स में रखे पेसो के बारे में पूछा गया तब उनकी पर्स से सिर्फ 150 रूपये ही निकले ,अरबपति होने के बावजूद भी उन्हें पैसों की कोई चाह नही है | 3 .कुँवर कहते हैं कि -जब हम कुछ मन से करना चाहे तो उसमे रूपये पैसे कभी बाधा नही बनते|
4.कुछ नया करने चाह उन्हें आगे बढ़ाती आई ,और आज भी कुछ नया करने के बारे में सोंचते हैं | 5.कुँवर नए उद्योगपतियों और भावी उद्योगपतियों के लिए कहते हैं -हमें जो भी कुछ कुछ सोचते हैं उसे हमे एक पेपर पर लिखना चाहिए इससे NIGATIVITY ख़त्म होती है |
2 Comments
The city's architecture reflects this heritage in a lot villas still scene in the city. The colors are usually soft but bright colors are also quite desired by babies. Are there any trade shows going entirely on?
ReplyDeleteReally best life story Jo koi success hua he wo Isi tarah se ho paaya he aapka blog dekhke muje achha laga.
ReplyDeleteApka comment humare moderation ke bad dikhai dega. Isliye comment karne ke bad pritksha kare. bar-bar ek hi comment na kare...